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मंत्री-विधायकों को सोशल मीडिया पर जानलेवा धमकियों का ट्रेंड

81 days ago   -    109 views

PFL News - मंत्री-विधायकों को सोशल मीडिया पर जानलेवा धमकियों का ट्रेंड

मंत्री-विधायकों को सोशल मीडिया पर जानलेवा धमकियों का ट्रेंड
बीते एक महीने में ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं, जिसमें 20-24 साल के युवाओं ने चुनावी माहौल के बीच मंत्री और विधायकों को जानलेवा धमकी दी है।


केस न. 1

टारगेट- अमीन खान, पूर्व विधायक

तारीख- 23 अप्रैल

फेसबुक पर लिखा: 26 जून से पहले काम तमाम, मौत की अग्रिम बधाई अमीन खान

RTG

पारस चौधरी

राजू ठेहट ग्रुप

जीवन गोदारा डीडवाना

आरोपी- पारसमल (24)


केस न. 2

टारगेट- रविंद्र सिंह भाटी, विधायक

तारीख- 27 अप्रैल

सोशल मीडिया पर लिखा: रविंद्र सिंह भाटी को स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि अगर इस तरह से उछलने की कोशिश की तो वह दिन दूर नहीं होगा कि लोग कहेंगे एक और राजूपत सितारा चला गया। हम तो चुनाव से पहले ही बहुत कुछ बदल सकते थे। लेकिन मेरे लोगों में उम्मेदाराम बेनीवाल के कांग्रेस में जाने की निराशाजनक स्थिति के कारण ही रविंद्र सिंह भाटी इस लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रह पाया। वरना हमने तो बड़े- बड़ों को भी अनेक बार पैरों के नीचे रखा है।

हमको न तो कोई चुनाव लड़ना है और न ही सत्ता का शौक है। हम चाहते हैं कि हमारी कौम के ऊपर कोई गलत नजरिए से देखने की हिम्मत न करे।

आरोपी- मघाराम (20)


केस न. 3

टारगेट- हरीश चौधरी, विधायक

तारीख- 27 अप्रैल

सोशल मीडिया पर लिखा: हरीश चौधरी थोडे ही दिनों का मेहमान है। हम हरीश को मौत के घाट उतार देंगे।

आरोपी- वीरसिंह (20)

अपने माद्दे से इतिहास बदलने वाले और कई क्रांतिकारी बदलावों की साक्षी रही युवा शक्ति (जवानी) राह से भटकने लगी है इसके पीछे के कारण तो बहुत हो सकते हैं मगर बाजारवाद के इस दौर में युवाओं का अतिमहत्‍वकांक्षी होना, हर पल आगे निकलने की होड़, वर्तमान शिक्षा प्रणाली तथा बढ़ते अकेलेपन आदि को प्रमुख कारण माना जा सकता है। सही परवरिश नहीं होना अपराध का सबसे पहला रास्‍ता खोलता है। जब बच्‍चा बचपन में छोटी-मोटी चोरी करता है, तब अगर उसके मां-बाप उसका पक्ष ले लेते हैं, तो उसका प्रभाव उसके आगे के जीवन पर पड़ता है। आगे चलकर उसे यह विश्‍वास रहता है कि वो कुछ भी गलत करेगा, उसके माता-पिता उसका साथ नहीं छोड़ेंगे। युवा अपराधियों में एक बात कामन रहती है कि उनकी अपने परिवार से खुल कर बात नहीं होती है। बच्चों को यह सिखाया जाना भी जरूरी है कि उनका गुस्सा तथा उनकी अतिमहत्वाकांक्षी उनके तथा उनके परिवार के लिए घातक हो सकती है। बच्चों के अकेलेपन को दूर करने के लिए अभिभावकों यह कोशिश करनी होगी कि वह अधिक से अधिक समय बच्चों के साथ बितायें। जब अभिभावक बच्चों के साथ समय बितायेंगे, तब बच्चें उन्हें अपने मन की अच्छी बुरी भावनाओं से अबगत करा सकते हैं, जिससे उन्हें उचित मार्गदर्शन देना आसान होगा। अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षक समुदाय को भी युवाओं को बेहतर नागरिक बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।


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