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राजस्थान चुनाव 2023 : कांग्रेस के सभी प्रत्यासियो का ऐलान, जानिए कैसे उमीदवारो का जाल बिछाया कांग्रेस ने

184 days ago   -    208 views

PFL News -  राजस्थान चुनाव 2023 : कांग्रेस के सभी प्रत्यासियो का ऐलान, जानिए कैसे उमीदवारो का जाल बिछाया कांग्रेस ने

कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की आखिरी सूची जारी कर दी है. इस सूची में कई कद्दावर नेता टिकट पाने में कामयाब हो गए. टिकट बंटवारे में दिलचस्प रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के मूक समझौते का असर नजर आया है. जानिए राजस्थान टिकट बंटवारे से जुड़ी 9 बड़ी बातें.

 

  • 25 सितंबर को जयपुर में नहीं हो सकी विधायक दल की बैठक के बाद दिग्गज मंत्री शान्ति धारीवाल, महेश जोशी और दर्जा प्राप्त मंत्री धर्मेंद्र राठौर को नोटिस दिया गया. आखिरकार महेश जोशी का टिकट कट गया और धर्मेंद्र राठौर को टिकट नहीं मिला. सीईसी की बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने धारीवाल के टिकट पर भी सवाल उठाया था, लेकिन 78 साल के कोटा सम्भाग के कद्दावर नेता और गहलोत सरकार में नम्बर दो माने जाने वाले धारीवाल का टिकट काटने से गहलोत ने कई सीटों पर नुकसान का हवाला दिया. लंबे राजनैतिक कांग्रेसी जीवन में पहली और आखिरी गलती की माफी मंगवाई, जिसके बाद धारीवाल से गांधी परिवार तो नहीं मिला लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे ने मिलकर उनको नसीहत दी. तब जाकर हाथ-पांव फुलाने के बाद आखिरी और सातवीं सूची में धारीवाल को टिकट दिया गया.
  • जब धारीवाल और तीन राज्यों में मंत्री रहे तैय्यब साहब की विवादित बेटी और मंत्री को टिकट का सचिन पायलट ने विरोध नहीं किया, तो वेद प्रकाश सोलंकी समेत सचिन खेमे के बचे विधायकों के टिकट को भी हरी झंडी मिल गयी, जिसका गहलोत ने विरोध नहीं किया.
  • आलाकमान को छानबीन समिति ये समझाने में कामयाब रही कि, जब मानेसर जाने वाले विधायकों को माफी देकर टिकट मिल रहा है, तो गहलोत की सरकार बचाने वाले 102 विधायकों पर भी सहानुभूति पूर्वक विचार हो. हुआ भी कुछ वैसा ही, बस जिनके खिलाफ सर्वे रिपोर्ट बहुत खराब रही और उनका मजबूत विकल्प मौजूद रहा, दोनों खेमों के ऐसे ही टिकट काटे गए.
  • बाकी राज्यों में भले ही कांग्रेस ने सहयोगी दलों को सीटें न देकर नाराज किया हो, लेकिन राजस्थान में एक सीट आरएलडी के सिटिंग विधायक के लिए छोड़ दी है.
  • इस तरह 199 में से आखिर इस बार कांग्रेस से पिछली बार लड़े 199 में से करीब 81 उम्मीदवार बदले हैं, जिनमें 3 मंत्रियों समेत 18 सिटिंग विधायक हैं. गौरतलब है कि, कांग्रेस के सियासी रणनीतिकार सुनील कोनूगोलू ने सर्वे में 50 फीसदी टिकट काटने की बात की थी, जिसे पूरी तरह तो नहीं लेकिन कुछ हद तक इस तरह लागू किया गया.
  • उदयपुर अधिवेशन को ताक पर रखकर 5 घंटे पहले कांग्रेस ज्वाइन करने वाले 3 नेताओं को टिकट दिया गया, जिसमें कर्नल सोनाराम चौधरी जैसे बीजेपी से आए पूर्व सांसद शामिल हैं.
  • काफी जोर लगाने के बावजूद आखिरकार ‘मैंने प्यार क्यूं किया’ फिल्म में सलमान खान की मां का रोल करने वाली बीना काक को गहलोत टिकट नहीं दिला सके. काक 2008 से 2013 तक गहलोत सरकार में मंत्री रहीं और 2013 में बुरी तरह हार गईं, जिसके बाद 2018 में उनको टिकट नहीं मिला था.
  • उम्र और व्यक्तिगत कारणों से चुनाव लड़ने से मना करने वाले बड़े नेताओं की कांग्रेस आलाकमान ने कोई मनुहार नहीं की, बल्कि इनकी जगह नए उम्मीदवारों को टिकट दे दिया. इनमें परसराम मोरदिया, हेमाराम चौधरी और लाल चंद कटारिया शामिल हैं.
  • बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने कांग्रेस ने रामलाल चौहान को मैदान में उतारा है. पिछली बार इस झालरापाटन सीट से तभी बीजेपी से कांग्रेस में आए जसवंत सिंह जसोल के पूर्व सांसद बेटे मानवेन्द्र सिंह को लड़ाया था.

 

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